!! बदलती तस्वीरे !! A Poetry on Changes of Life




 












 

किसी के जीवन में कोई ऐसा भी पल आता है ?
अपने-पराये सारा जग एक सा नजर आता है ?

हमने उनको अपना कहा पर,
ये तो बस भूल थी हमारी.
जब आये वो जीवन में- 
सब लगता था न्यारी-न्यारी |

अब तो सब बिरान लगे,
जर्जर और बेजान लगे,
जैसे बिना बादल हरियाली |

किस से कहूँ ? 
कैसे कहूँ ?
कहना है जो बातें |
कौन है जो-
समझेगा मेरी दिल की बातें ?

जाने न दिल, क्यों ये सारा जग बदला-बदला पाता है |
अपने-पराये सारा जग एक सा नजर आता है ||
-चंचल साक्षी 




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