चिड़िया
1) चिड़िया तुम्हारे घर के पीछे की खिड़की से जो एक छोटी चिड़िया दिखती है जिसे रोज सुबह तुम निहारती हो अपने मृदुल नयनों से ... मैं वह चिड़िया बनना चाहता हूँ और तुम्हारे नयनों के सामने यूँ ही सुबह-शाम उड़ना चाहता हूँ। 2)आँखें एक खुली आस्माँ है आस्माँ में पूरा जहाँ है उस जहाँ को देखती है मेरी एक जोड़ी आँखें ... और अपने अनुसार एक आकार,एक रूप, एक जगह बना लेती है ठहरने की।। 3) तुम्हारा नाम तुम चुम लेना मुझे अपनी आगोश में लेकर मेरे मस्तक को और मैं घुल जाऊँगा तुम में उन कोमल स्पर्श से ... तुम यूँ ही निहारते रहना मेरे चेहरे को जिसमें लिखा है हर जगह तुम्हारा नाम।। प्रेम कुमार साव