ख़्वाब - कविता

ख़्वाब,
बेहद जरूरी है ये ख़्वाब
लाख टूटे
फिर देखो
मीठे मीठे ख़्वाब
जीवन मे रंग भर दे
बढ़ने का हौसला दे
ये सच्चे झूठे ख़्वाब
ख़्वाब बिना जीवन
आत्मा बिना शरीर
सोचो मत
देखते रहो
अच्छे अच्छे ख़्वाब
ख़्वाब
बेहद जरूरी है ये ख़्वाब
-चंचल सिंह साक्षी

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