कविता: उड़ान

कौन कहता हैं
उड़ने के लिए
पंख चाहिए?


उड़ने के लिए
बस इरादा चाहिए।








इरादा बड़े दिल
रखने का
सबको एक सा
समझने का

इरादा प्रेम का
प्रेम उनसे नही जो
आपसे प्रेम करें
प्रेम प्रकृति से
प्रेम जीव से
प्रेम निः स्वार्थ
प्रेम निश्छल
कल कल बहती नदी 
की भाँती
जो किसी में भेद
नही करती

इरादा ज्ञान का
ज्ञान रुपये कमाने मात्र 
का नही
ज्ञान मानवता का
ज्ञान दयालुता का
ज्ञान अपनत्व का
ज्ञान नीति का
ज्ञान न्याय का

इरादा सीखने का
हर दिन कुछ नया
कुछ अलग
किसी से भी
बिना अहं

इरादा ऊपर उठने का
अपने ही मन के 
उधेड़ बुन से ऊपर
अपने रिश्तों से ऊपर
अपने समस्यायों से ऊपर
अपने इक्षायों से ऊपर
अपने लालच से ऊपर
अपने ईर्ष्या से ऊपर

ज्यों ज्यों हम गुणों से पूर्ण
होते जाते हैं
हम अपने जरूरतों से
बाहर निकलते जाते हैं
और एक दिन
हम भारहीन हो 
जाते हैं 
शून्य पे पहुँच जाते हैं
और फ़िर
शुरू होती हैं
उड़ान बिन पंखों वाली
सही मायनें में 
उड़ते हैं हम...।

-चंचल सिंह 'साक्षी'

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