कविता : जीवन की कहानी
नही चाहिए कागज़ नही कलम की वाणी
लिखनी हैं निःशब्द ही अपने जीवन की कहानी
कुछ असंभव हैं क्या जिसे हमने हैं ठाना
मौजों के बिना क्या कटती नही जवानी
पिघला देंगे स्वं को हृदय में जो ऊष्मा हैं
शक्ल मनचाहा लेंगे समझो नही नादानी
टूटेंगे, गिरेंगे बिखड़ जाएंगे समेट कर स्वं को हार नही मानेंगे
दिखला देंगे जग को कितना हैं ख़ून में रवानी
कुछ तो जीवन का हसर होगा अच्छा हो बुरा हो बसर होगा
अडिग रहेंगे अंत तक अपने नीति पर हमने जिसे हैं मानी
न रोकने से रुकेंगे, न तोड़ने से टूटेंगे
चलने नही देंगे किसी की अपने ऊपर मनमानी
नही चाहिए कागज़ नही कलम की वाणी
लिखनी हैं निःशब्द ही अपने जीवन की कहानी
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चंचल सिंह 'साक्षी'



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