एक माँ को मार दिया
मरे हुए उस गांव के लोग
मरी हुई उनकी आत्मा
मरा हुआ वो मानव हैं जो
एक माँ को मार दिया
मौत नही वो पराकाष्ठा थी
अत्यचार अन्याय था
उन्माद में दैत्यों ने
एक माँ को मार दिया
भूखी भटकी गांव को पहुँची
महामारी में वो माई
खाना खोजते वो दैत्य मिला जो
एक माँ को मार दिया
मिला बिस्फोटक फ़ल में
हथिनी को खिलाया
नन्ही हाथी उसके पेट मे था
उस माँ को मार दिया
मुँह में फूटा जब वो पटाखा
कितना वो तड़पी होगी
ख़ुद से ज्यादा तब भी उसको
अपने संतान की चिंता होगी
तड़प तड़प कर वो बेचारी
पानी में ही खड़ी रही
न इलाज़ मिला न सहायता मिली
एक माँ को सबने मार दिया
ओ मूक मासूस पशु
हम सब मानव शर्मिंदा हैं
कहते जिसे सर्वश्रेष्ठ जीव
उसने कैसे एक माँ को मार दिया?
-चंचल सिंह 'साक्षी'
#श्रद्धांजलि
#ईश्वर से पार्थना हैं उस मासूम पशु को शांति मिले और जिसने उसे तड़पाया उसका हस्र इतना बुरा हो की वो भी तड़प तड़प कर मौत को प्राप्त करें।
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