अपने दर्द बताऊ तो कैसे - How to be painless - poetry





(इन्सान कभी-कभी ऐसी परिस्थिति में होता है क़ि वो किसी से कुछ कह नहीं सकता परेशानी इतना अधिक है क़ि बिना बताये भी रह नहीं सकता पर, कोई तो नहीं जो सुनले उसकी बातें वो सोचता है कौन सा मै देखू अब रसता)

 अपने दर्द बताऊ तो कैसे ?

 

 

 

 

 



 अपने दर्द बताऊ तो कैसे ?
बिन कुछ बताये रह पाऊ तो कैसे ?
कोई तो नहीं जो मुझे सुन पाए |
ऐसा कुछ कर जाऊ तो कैसे ?

घर पे सब अपने है, 
माँ-बाप और भाई-बहने है, 
पर किसे बताऊ मुझे जो कहने है |
माँ सुनकर घबरा जाएगी | 
पिता जी व्याकुल हो जायेंगे | 
भाई-बहने थोरी देर में खेलने लग जायेंगे |
आह! ये कैसी स्थिति है,
ये कैसी बिपदा आई है |

दोस्त तो बहुत है
सारे मेरे अपने है
पर कौन वो एक है
जो सुन ले मेरी बातें
ऐसा कोई नाम नहीं
ऐसा कोई इन्सान नहीं 
फिर,परेशानी तो मेरी है |
कोई और क्या कर पायेगा ?
अपनी बातें कह के बस मन हल्का हो जायेगा |
पर बिपदा तो लौट के फिर मेरे सर ही आएगा |
-चंचल साक्षी 
27th, Aug 2013





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