नन्ही चिड़िया - A Little Bird - Hindi Poetry
एक नन्ही चिड़िया
जो बड़े जतन से खुद को संभाला
उन तूफानों में
जब सबने उसके घोषले को उजाड़ा
माँ सहीत उसे बाहर निकाला
चिड़िया ने दुर देश जाने का सोचा
अपनी माँ को दिया भरोषा
माँ मैं दूरदेश जाऊंगा
तुम्हारे दुःख-दर्द मिटाऊंगा
बहुत सारा धन लेकर
लौट मैं आऊंगा
माँ सोची की बच्चा हैं
दिल से बिल्कुल कच्चा हैं
चलु मैं भी साथ
फिर गम की क्या बिसात
दोनों पहुंचे परदेश
छोड़ कर अपना देश
यहाँ कोई न अपना था
मानो जैसे सपना था
माँ ने पंख फैलाया
नन्ही चिड़िया को हर्षाया
बच्चे तुम न घबराओ
तुम अपनी पहचान बनाओ
छोड़ कर अपना देश
यहाँ कोई न अपना था
मानो जैसे सपना था
माँ ने पंख फैलाया
नन्ही चिड़िया को हर्षाया
बच्चे तुम न घबराओ
तुम अपनी पहचान बनाओ
तिनका तिनका चुनकर
उम्मीदों से बुनकर
नन्ही चिड़िया ने घोषला बनाया
अपने घर को फिर से सजाया
माँ बोली तुम जम गये
काम में अपने रम गये
लो चलो मैं देश चली
छोड़कर परदेश गली
नन्ही चिड़िया मुसकाई
माँ जब गले लगाई
उम्मीदों से बुनकर
नन्ही चिड़िया ने घोषला बनाया
अपने घर को फिर से सजाया
माँ बोली तुम जम गये
काम में अपने रम गये
लो चलो मैं देश चली
छोड़कर परदेश गली
नन्ही चिड़िया मुसकाई
माँ जब गले लगाई
दो चार अब दोस्त हैं
नन्ही चिड़िया मस्त है
रह रह कर नन्हे को
याद घर की आती है
अनायाश आँशु बह जाती है
माँ भी साथ नही अब
जो प्यार किया करे
परदेश वाले सिर्फ व्यापर किया करे
यहाँ परदेश में सबकुछ है
पर वह बात नही है
सुख सुबिधा अनेको है
वो जज्बात नही
हाँ वो जज्बात नही है
-चंचल साक्षी
20/06/2015
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