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द रचयिता
हिंदी साहित्य की e-पत्रिका
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Emotion
Expression
June 22, 2015
दर्द-ए-बयाँ - A Poetry On Emotion
यूँ न हँसो यारो
मेरे दर्द-ए-बयाँ पे
हज़ारो चोट खाकर ही
हमने ये हुनर पाई है
इस दर्द-ए-दिल का अब क्या करुँ
लाख बाधा पार कर जिसे जीत न मिली
यूँ ही नाउम्मीद नही हूँ मैं
मेरे अश्क़ मेरे
हाला
त
के बेहतर गबाह हैं
ये इश्क़ भी यारो क्या अजीब चीज है
न मिले तो बावड़ा मिल जाये तो बेकार कर देती हैं
-चंचल साक्षी
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